किस्मत के नायाब कारीगर
रोज बनाते हैं चेहरे,
प्यार जता कर, धमकी देकर
रोज रुलाते हैं चेहरे !
चेहरों की आबाद बस्तियां
तुड़े-मुड़े-फ़टे चेहरे,
मुझसे मेरा राज जान कर
रोज नचाते हैं चेहरे !
दीन-हीन याचक-से लगते
करुण विलापित-से चेहरे,
चेहरों की ही भीड़ में खो कर
रोज ढूंढते हैं चेहरे !
लोप हुई पहचान उनकी
पढे अखबार-से चटे चेहरे,
वे, वे नहीं हैं जो वे हैं
हैं रोज बताते बिके चेहरे !
सच समय का है यही अब
भरे-भरे खाली चेहरे,
सब जानते हैं आज रवि
क्यों नींद उड़ाते हैं चेहरे !
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