कृपाण-सी सरसराती
पुरवाई
बींध कर चली गई
अन्तर्मन को/
चीरती-सी बह गई
पले-अधपले
‘दूध-मुंहे‘ बच्चों को
लाशों के से ढेर लग गये
टहनियों को छूते-से !
बूढाता वृक्ष
झूलता रहा
यंत्र-चलित-सा,
निर्मोही-सन्यासी बन !
समेटता रहा
बिखरती सांसें,
उलीचता रहा-
अनुभवों का अहम/
अपनी ही ‘रौ‘ में
तन्मयता से !
आस-पास के वृक्षों तले
बिखरे पत्ते
हो गये एकत्रित
पुरवाई के फ़टकारे से
-आओ !
हम लटक जायें
टूटे पत्तों की जगह
डाल पर/
करें
एक नई दुनियां का सृजन
अपने बलबूते पर....!‘
बिखरे पत्तों ने कहा
और लगे मचलने
क्रियान्वयन की उत्सुकता से !
देखा -
पुरवाई थम चुकी थी !
अमरबेल
बिन खाये-पिये
वह खटती रही
दिन चढे तक
अविरल-अविराम...
झाडू-पौंचा,
चौका-बासा
सब कुछ सम्भाला उसने
और अनुभवों की तरजीह से
सलीका बिछाया
बाहरी दरवाजे की चौखट तक !
पसीना
चूता रहा टप-टप,
भिगोता रहा
फटी कांचली,
उनिंदी आंखें
करती रही शिकायत !
भूख-प्यास
जताती रही विरोध
पर शिकन भी न उभरी
दादी के चेहरे पर !
सर्वांग रोमांचित था
दादी का,
भीतर की मां
देखती रही
पौत्रवधु का स्नेहिल चरण-स्पर्श,
उतारती रही बलाएं
नजर की,
कि बहू ने दादी को
अन्दर जाने को चेताया !
मांगलिक कार्य में
विधवा की प्रत्यक्ष उपस्थिति
अशुभ जो होती !
अमरलता की तरुणाई
छिन गई पल में,
कट गई डाल
साख थी जो नहीं
अंत
गाल फुला कर
उङाता रहा
धुंआं
‘गोल-गप्पों‘ की सूरत में
बांट-बांट कर जिंदगी-भर
किंतु
नहीं थका
उसका पौरुष
देखा-
टब की जिन्दगी रीत चुकी थी !
बालू से तपते दिलों में
आओ साथी फिर जगायें
सोया मन विश्वास,
विद्रूप से बीझे मनों में
लायें बासंती मधुमास ।
ऐसा कोई जतन करें
नाचे मन ज्यों मोर,
गाल गुलाबों से खिले
चाहत चांद चकौर ।
फिर तलाशें नई ऋचाएं
नव जीवन आकाश,
गढें नई जीवन परिभाषाएं
जागे मन में सांस ।
आओ ऐसा जतन करें
गूंजे गीत ज्यों कोयल कूके,
मन उम्मीदें दौडे हरिण-सी
वक्त गुजरे ज्यों हवा छू के ।
आओ ढूंढें मन हरियाली
दफन करें संत्रास,
मन-पियानों संग बजायें
धक-धक दिल आभास ।
आओ ऐसा जतन करें
फैले मेंहदी, चंपा, रानी
खुशियों की गुलाल उडायें
संग प्यार के पानी ।
इस बसंत की हर सुबह
भरे नया उल्लास,
बालू से तपते दिलों में
फैले बासंती हास ।
तितली फुदके, भौंरे गाये
गूंजे राग मल्हार,
बीन संग लहराती नागिनें
दुःख नाव ज्यों सुख पतवार ।
आओ साथी फिर सजायें
बिखरी खुशियों की घास,
पीड-जूझ के नमदे पर
उगेगा एक नया विश्वास ।
***
अच्छी रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंgood poetry. keep it up.
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