मंगलवार, 17 नवंबर 2009

सेना के सूबेदार

राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के भगवान अटलानी पुरस्कार (२००८) से पुरस्कृत कविता संग्रह सेना के सूबेदार  से चयनित कविताएं



किस्मत के नायाब कारीगर
रोज बनाते हैं चेहरे,
प्यार जता कर, धमकी देकर
रोज रुलाते हैं चेहरे !

चेहरों की आबाद बस्तियां
तुड़े-मुड़े-फ़टे  चेहरे,
मुझसे मेरा राज जान कर
रोज नचाते हैं चेहरे !

दीन-हीन याचक-से लगते
करुण विलापित-से  चेहरे,
चेहरों की ही भीड़ में खो कर
रोज ढूंढते हैं चेहरे !

लोप हुई पहचान उनकी
पढे अखबार-से चटे  चेहरे,
वे, वे नहीं हैं जो वे हैं
हैं रोज बताते बिके चेहरे !

सच समय का है यही अब
भरे-भरे खाली  चेहरे,
सब जानते हैं आज रवि
क्यों नींद उड़ाते हैं  चेहरे !
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